अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई,
जब छवि देखी पीहू की तो अपनी भूल गई।
छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के
बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रिजना
अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
प्रेम वटी का मदवा पिलाय के मतवारी कर दीन्हीं रे
मोसे नैंना मिलाई के।
गोरी गोरी बईयाँ हरी हरी चूरियाँ
बइयाँ पकर हर लीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
खुसरो निजाम के बल-बल जइए
मोहे सुहागन किन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
ऐ री सखी मैं तोसे कहूँ, मैं तोसे कहूँ, छाप तिलक….।
ग़म से मिलता ख़ुशी से मिलता है
सिलसिला ज़िन्दगी से मिलता है
वैसे दिल तो सभी से मिलता है
उनसे क्यूँ आज़जी से मिलता है
है अजब जो मुझे रुलाता है
चैन दिन को उसी से मिलता है
हम जो हैं साथ ग़म उठाने को
फिर भी वह अजनबी से मिलता है
बिगड़ी बन जाएगी तेरी ‘महशर’
बे ग़रज़ गर किसी से मिलता है
कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए ,
कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए !
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है.
चालों यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए !
ना हो कमीज तो पावों से पेट ढँक लेगें,
ये लोग कितने मुनासिब है, इस सफ़र के लिए !
खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नजारा तो है नजर के लिए !
वे मुतमईन है पत्थर पिघल नहीं सकता,
मै बेकरार हूँ आवाज में असर के लिए !
तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात जरुरी है इस बहार के लिए !
जियें तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,
मारें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए !
–दुष्यंत कुमार त्यागी
जीवन-सरिता की लहर-लहर,
मिटने को बनती यहाँ प्रिये
संयोग क्षणिक, फिर क्या जाने
हम कहाँ और तुम कहाँ प्रिये।
पल-भर तो साथ-साथ बह लें,
कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें।
आओ कुछ ले लें औ’ दे लें।
हम हैं अजान पथ के राही,
चलना जीवन का सार प्रिये
पर दुःसह है, अति दुःसह है
एकाकीपन का भार प्रिये।
पल-भर हम-तुम मिल हँस-खेलें,
आओ कुछ ले लें औ’ दे लें।
हम-तुम अपने में लय कर लें।
उल्लास और सुख की निधियाँ,
बस इतना इनका मोल प्रिये
करुणा की कुछ नन्हीं बूँदें
कुछ मृदुल प्यार के बोल प्रिये।
सौरभ से अपना उर भर लें,
हम तुम अपने में लय कर लें।
हम-तुम जी-भर खुलकर मिल लें।
जग के उपवन की यह मधु-श्री,
सुषमा का सरस वसन्त प्रिये
दो साँसों में बस जाय और
ये साँसें बनें अनन्त प्रिये।
मुरझाना है आओ खिल लें,
हम-तुम जी-भर खुलकर मिल लें
-भगवती चरण वर्मा